Tuesday, April 16, 2019

四川页岩气开采:“水力压裂”下小地震频发引公众担忧

地震对于中国四川来说并不罕见,但近两年来发生在该省南部的一系列地震却让当地人忧心忡忡,他们担心与中国正蓬勃开展的页岩气开采有关。

一项近期发表在美国地震学会期刊的研究似乎为这种说法提供了最新证据。该研究认为,数月前发生在四川南部兴文县和珙县的两次破坏性地震,均由水力压裂作业所引发。造成18人受伤的

水力压裂作业是开采页岩气的重要技术,过去十年间为美国带来了天然气和石油生产革命,依赖天然气进口的中国近年来也将其视为“救命稻草”。

但学者向BBC中文表示,由于中国更为复杂的地质构造,该技术面临更大的争议和难度。今年2月,在附近地区荣县的另一次频繁地震后,愤怒的村民一度包围县政府进行抗议。

这项本月初发表在美国地震学会期刊《地震研究快报》(Seismological Research Letters)的报告称,有多方面的“证据链条”表明,去年12月和今年1月发生在四川兴文县的5.7级和发生在珙县的5.3级地震,“可能”是由附近的水力压裂作业诱发。

据中国媒体报道,这两次地震共造成18人受伤,另有多处民房遭严重破坏。

这份研究报告引用日本地质调查所雷兴林博士和他的合作者称,他们确定了地震的震源位置,发现它们相对较浅,符合(外力)诱发地震的可能发生深度,两次地震也在时间和空间上与附近的水平井簇的压裂紧密相关。

这份发表在SRL的最新研究的依据还包括:统计分析显示,地震本身的余震活动很少,这也与典型的诱发地震的特征一致。他们(雷兴林博士和他的合作者)通过计算表明,水力压裂的高压注水所产生的岩石孔隙超压足以激活附近的已有断层。

但《地震研究快报》的报告也指出,他们没有更精确的压裂数据来进一步理解注水与地震活动之间的关系。

地处四川盆地南部的兴文县和珙县均属于四川宜宾市管辖,它们在数年前被纳入“长宁-威远国家级页岩气综合利用示范区”,境内均有中国国有能源巨头中国石油下属的页岩气开采项目。

此次公布的研究显然只是四川南部一系列地震中规模较大的两次。根据中国地震台网记录,自2018年以来,发生在川南的内江、自贡、泸州和宜宾四个城市辖区内被监测到的地震便有50余次。

今年2月24日,自贡境内的荣县发生多次地震,造成2人死亡,12人受伤。地震后不久,数千名愤怒的村民便聚集到荣县政府大楼外抗议。荣县政府随后宣布暂停当地15个页岩气平台的水力压裂作业。

“地震已经成为这片的日常。有时候一天都能有两三次震动。只要人是坐着或躺在床上,都会有明显感觉,”家住内江市资中县宋家镇的罗歆(化名)对BBC中文说。她的家离荣县县城约60公里,附近也有三处正热火朝天进行的页岩气项目。

“我们是经历过汶川和芦山地震的,但之前从来没有过这种小地震,就这几年小震特别多,”罗歆说。

在四川山峦起伏的田野和农田间,数以百计高高耸立的钻井平台正在运转。要获取页岩气,需要将化学液体注入地下,用水压将岩石层压裂,从而释放出其中的天然气,这便是水力压裂法。

数十年来,这种方法在美国的普及使该国能源供给大幅增加,由此带来的海量页岩气在拉低北美气价的同时也让美国成为天然气净出口国,因此被称为“页岩气革命”。

पश्चिम बंगाल के गोरखालैंड पर भारी है विकास

पहाड़ियों की रानी के नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र की संसदीय सीट के लिए होने वाले चुनाव में लगभग तीन दशकों बाद पहली बार गोरखालैंड की बजाय विकास का मुद्दा हावी है.

तृणमूल कांग्रेस कभी इस सीट को नहीं जीत सकी है. बीजेपी ने भी पिछली बार जीते एस.एस.आहलुवालिया की जगह इस बार राजू सिंह बिष्ट को अपना उम्मीदवार बनाया है.

इस सीट के लिए दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होना है.

इलाके में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं. जिस गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के एक इशारे पर इलाके में किसी भी उम्मीदवार की किस्मत तय होती थी, वह अब खुद ही दो गुटों में बंटा हुआ है.

मोर्चा का विमल गुरुंग वाला गुट बीजेपी के साथ है तो विनय तमांग वाला गुट ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ.

गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने भी बीजेपी को ही समर्थन देने का एलान किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा ममता और अमित शाह भी इस इलाके में चुनावी रैलियां कर चुके हैं.

अस्सी के दशक के उत्तरार्ध से इस इलाके में होने वाले तमाम चुनावों में अलग गोरखालैंड का मुद्दा ही हावी रहता था. पहले सुभाष घीसिंग की अगुवाई वाला गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) यह मुद्दा उठाता रहता था, उसके बाद विमल गुरुंग के नेतृत्व वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा भी इसी मुद्दे पर अपना समर्थन तय करता था.

इसी वजह से मोर्चा ने पिछले दो चुनावों में भाजपा के क्रमशः जसवंत सिंह और एस.ए.आहलुवालिया को समर्थन देकर उनको यहां जिताया था. लेकिन अब खुद यह मोर्चा ही दो-फाड़ हो चुका है. गोरखा नेता विमल गुरुंग साल 2017 में हुए हिंसक आंदोलन के बाद से ही भूमिगत हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बार गोरखा मोर्चा विधायक अमर सिंह राई को अपना उम्मीदवार बनाया है. लेकिन बीजेपी ने आहलुवालिया की जगह 33 साल के एक कारोबारी राजू सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है.

मूल रूप से मणिपुर के रहने वाले राजू का दिल्ली में कारोबार है. गोरखा मोर्चा के विमल गुरुंग गुट के अलावा जीएनएलएफ ने भी उनके समर्थन का एलान किया है.

इसी वजह से ममता इलाके में अपने दौरे के दौरान स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठा चुकी हैं. इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है और दोनों दलों के उम्मीदवार उसी गोरखा तबके से हैं जो यहां निर्णायक हैं.

कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता शंकर मालाकार मैदान में हैं तो सीपीएम ने अपने पूर्व सांसद सुमन पाठक को उम्मीदवार बनाया है.

यहां इलाके के सबसे बड़े राजनीतिक दल ने जिसकी पीठ पर हाथ रख दिया उसकी जीत सौ फीसदी तय हो जाती है.

गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के जमाने में उसके तत्कालीन प्रमुख सुभाष घीसिंग के समर्थन से इंद्रजीत खुल्लर जीतते रहे थे. उसके बाद इलाके में सत्ता बदली और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग के समर्थन से पहले जसवंत सिंह जीते और उसके बाद वर्ष 2014 में एस.एस. अहलुवालिया.

तृणमूल उम्मीदवार अमर सिंह कहते हैं, "विकास ही हमारा मुख्य मुद्दा है. बीते एक दशक से भी लंबे अरसे से इलाके में विकास का काम ठप है. बीजेपी सांसदों ने पहाड़ियों के विकास की दिशा में कोई पहल तक नहीं की है."

तृणणूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री गौतम देब कहते हैं, "अब अलग राज्य के मुद्दे को अलग रख कर विकास पर ध्यान देना जरूरी है. स्थानीय लोग भी अब इस बात को समझने लगे हैं."

बीजेपी के दार्जिलिंग जिला अध्यक्ष मनोज दीवान कहते हैं, "हमारे लिए अलग राज्य कोई मुद्दा नहीं है. हम इस पर्वतीय इलाके की समस्या के स्थायी राजनीतिक समाधान और यहां लोकतंत्र की बहाली के लिए लड़ रहे हैं."

मोर्चा के विमल गुरुंग गुट के कार्यकारी अध्यक्ष लोकसांग लामा कहते हैं, "इन चुनावों से साबित हो जाएगा कि पहाड़ियों का शीर्ष नेता कौन है. स्थानीय लोग गुरुंग के साथ हैं."

बीजेपी उम्मीदवार राजू सिंह मानते हैं कि लोग अबकी पहाड़ियों में लोकतंत्र की बहाली के लिए वोट देंगे. वर्ष 2017 के गोरखालैंड आंदोलन के दौरान तृणणूल कांग्रेस के लोगों ने पुलिस और प्रशासन के साथ मिल कर जो अत्याचार किए हैं, उसे लोग अब तक नहीं भूल सके हैं.

वह कहते हैं कि दार्जिलिंग की समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान जरूरी है. लेकिन राजू सिंह अलग गोरखालैंड के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करते.

दूसरी ओर सीपीएम उम्मीदवार और राज्यसभा के पूर्व सांसद सुमन पाठक कहते हैं, "इलाके के लोग बीजेपी और तृममूल कांग्रेस के झूठे वादों से आजिज़ आ चुके हैं. अबकी लोग एक बार फिर सीपीएम पर ही भरोसा जताएंगे."

दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र की सात विधानसभा सीटों में से तीन पर्वतीय इलाके में हैं और बाकी चार मैदानी इलाकों में. मैदानी इलाकों की सीटों में से दो कांग्रेस के कब्जे में हैं और एक-एक सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस के.

पर्वतीय इलाके की सीटों पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का ही कब्जा है. पर्वतीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे गोरखा मोर्चा के पूर्व उपाध्यक्ष कल्याण दीवान कहते हैं, "यह दशकों बाद पहला मौका है जब न तो कोई राजनीतिक दल गोरखालैंड की बात कर रहा है और न ही स्थानीय लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं."

इस संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला पर्वतीय इलाके के वोटर ही करते रहे हैं. लगभग 16 लाख वोटरों में से सात लाख तीनों पर्वतीय विधानसभा क्षेत्रों में हैं. यहां वही जीतता है जिसे इलाके पर पकड़ रखने वाली पार्टी समर्थन देती है.

पहले जीएनएलएफ वह पार्टी थी और बाद में गोरखा मोर्चा ने उसकी जगह ले ली. लेकिन अबकी वह गोरखा मोर्चा भी दो गुटों में बंटी है. इस वजह से राजनीतिक पंडित भी इस सीट के नतीजों के बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगा पा रहे हैं.

लंबे अरसे तक दार्जिलिंग में रहकर गोरखालैंड आंदोलन कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार तापस मुखर्जी कहते हैं, "यह चुनाव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और गोरखा मोर्चा अध्यक्ष रहे विमल गुरुंग के बीच साख की लड़ाई है. इस वजह से इस सीट की अहमियत काफी बढ़ गई है. ऐसे में कोई पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है."

Tuesday, April 9, 2019

新疆军区某陆航旅高海拔紧急救援10名因雪崩被困人员

  中新网乌鲁木齐4月9日电(王小军 吴世科 于光彤) 新疆天山深处发生雪崩致多名群众被困。新疆军区某陆航旅高海拔参与救援,截至目前10名被困人员已安全转移。

  4月8日下午,正在组织跨昼夜飞行训练任务的新疆军区某陆航旅接到紧急救援命令,该旅旅长粟祥亲自带队救援,立即组织人员成立双机长救援机组研究航线和预案,下午6时,两驾直升机起飞赶往事发地。

  直升机进入山区,海拔逐渐升高,山体两侧峡谷陡峭,雪峰林立,积云很厚,直升机前方山体被云雾遮蔽,峡谷气流导致直升机异常颠簸,两驾直升机在狭窄的雪山峡谷中来回搜索,飞行员全神贯注地操纵直升机,机载搜救组观察四周情况,领航员实时标定位置,经过紧张地搜索,下午7时18分直升机飞至海拔近4000米的雪山峡谷里,在一座被云团包裹的雪山脚下发现了被困人员足迹,但是气象条件异常恶劣,足迹消失在云团中,被困者发来消息称可以听到直升机声音,但陡峭的雪山完全被云团遮蔽,直升机无法靠近降落,即将黄昏,山谷气象条件越来越差,直升机油量告警,只能返回

  4月9日上午8点35分,该旅2架直升机搭载搜救人员前往8日标定点再次展开救援,经过30分钟飞行,直升机进入雪山峡谷,旅长粟祥驾驶直升机紧贴雪山飞行,经过近10分钟的搜寻,直升机翻过一道雪梁,在一处雪山斜坡上发现了被困人员,救援地点在天山深处海拔3500米的地方,属于高原雪山紧急救援,救援难度很大,挑战着机组的飞行技术和应急能力。

  粟祥操纵直升机盘旋雪山上空寻找救援机降点位,副营长洪涛驾驶另一架直升机在高空盘旋观察第一架救援机组情况,实时提醒高度,救援直升机在被困人员上方悬停后,机组官兵利用吊篮迅速放下2名搜救队员,并成功利用吊篮将1名被困人员悬吊上直升机。但此时机组发现救援地势较陡,被困人员行动不便,采取吊篮救援10名被困人员需要较长时间,而直升机长时间高度悬停会导致超温超限,甚至单发停车,可救援时间紧迫,粟祥决定采取超低高度悬停救援,直升机缓缓下降,直升机轮子轻轻贴在雪山顶上。

  直升机在这种高海拔雪山地区容易受空中风和气流扰动影响,机组凭借多年的高原山区飞行经验和过硬的飞行技术将直升机贴在雪山悬停救援,每救上1人,机组就要微微调整直升机状态,被困人员在机组帮助下快速登上救援直升机,随机医疗人员对1名重伤员和2名轻伤员展开救治,机组沿着标定航线快速返回至天山北麓某机场,上午10时20分,机场等待的救护车和医疗人员将伤者立即转移到地方医院。

教育部:不建议占用假期补课

  教育部应对新冠肺炎疫情工作领导小组 英国首相约 色情性&肛交集合 翰逊在感染新型冠 色情性&肛交集合 状病毒康复两 色情性&肛交集合 周后, 色情性&肛交集合 将回到唐宁街继续 色情性&肛交集合 他的全职 色情性&肛交集合 领导工作。 在首相生病期 色情性&肛交集合 间...